नमस्कार दोस्तो मेरे ब्लॉग https://mytechguide34.blogspot.com में आपका स्वागत हैं। क्या आप OSI MODEL के बारे में जानते हैं ? कि "OSI MODEL"क्या हैं? कैसे कार्य करता है ?यदि आप OSI MODEL के बारे में जानना चाहते होतो इस पोस्ट को अन्त तक अवश्य पढे।आज कि इस पोस्ट में मैं आपको OSI MODEL के बारे में पूरी जानकारी (In Hindi)में बताउंगी।
Full Form Of OSI Model:-
OSI मॉडल का पूरा नाम OPEN SYSTEM INTERCONNECTION (खुली प्रणाली अंतसम्पर्क प्रतिमान )है।
OSI मॉडल क्या है (what is OSI model )
OSI मॉडल को ISO (INTERNATIONAL ORGANIZATION FOR STANDARDIZATION )ने 1978 मे विकसित किया था। इस मॉडल मे 7 लेयर (layer )होती है। OSI मॉडल का प्रयोग किसी नेटवर्क मे दो यूजर के मध्य कम्युनिकेशन के लिए होता है, इस मॉडल की प्रत्येक लेयर दूसरे लेयर पर निर्भर करती है.
OSI मॉडल किसी नेटवर्क मे डेटा या सूचना कैसे send तथा recive होती है यह दर्शाता है। सभी लेयर का अपना अलग -अलग कार्य होता है, OSI मॉडल प्रत्येक लेयर मे सैद्धांतिक रूप से समान कृत्यों का समूह है। जो अपने से ऊपर वाली लेयर को सेवा प्रदान करता है और अपने से नीचे वाली लेयर से सेवाएं प्राप्त करता है।
OSI मॉडल की लेयर्स (Layers Of OSI Model )
OSI मॉडल की लेयर्स (Layers Of OSI Model )
OSI मॉडल मे 7 लेयर होती है आइये विस्तार में जानते है इन लेयर्स के बारे में
फिजिकल लेयर (Physical layer )
- OSI मॉडल मे physical layer पहले स्थान पर आती है। इसे bit unit या hardware layer भी कहते है।
- यह लेयर digital signal को electronic सिग्नल में बदलती है।
- फिजिकल लेयर (physical layer ) यह भी डिफाइन करती है, कि कम्युनिकेशन(communication) कैसा है wirred या wireless.
- यह लेयर सभी physical तथा electical specification को डिफाइन करती है।
डाटा लिंक लेयर (Data link layer )
- OSI मॉडल मे data link layer नीचे से दूसरे स्थान पर है, इसे frame यूनिट भी कहते है।
- data link layer नेटवर्क द्वारा भेजे गए data packet को encode तथा decode करती है।
- इस लेयर के अंतर्गत two sublayers होती है
1. MAC (MEDIA ACCESS CONTROL )
2 . LLC (LOGIC LINK CONTROL )
- यह लेयर यह भीं कन्फर्म करती है की डाटा त्रुटिपूर्ण तो नहीं है।
- डाटा लिंक लेयर में डाटा ट्रांसमिशन के लिए two protocals का प्रयोग होता है।
2 . PPP (POINT TO POINT PROTOCAL )
नेटवर्क लेयर (Network layer )
- OSI मॉडल में network layer नीचे से तीसरे स्थान पर है इसे packet unit भी कहते है।
- इस लेयर में data packets के रूप में होता है यह लेयर packets को source से destination तक पहुँचाती है।
- इस लेयर में दो तकनीकी का प्रयोग किया जाता है,जिनके नाम है switching और routing
- इस लेयर को logical virtual curcuit भी कहते है यह डाटा को एक node से दूसरे node तक पहुँचता है।
- यह लयेर IP adress भी कॉन्फ़िगर करती है तथा कम्युनिकेशन का path निर्धारित करती है।
ट्रांसपोर्ट लेयर (Transport layer)
- OSI मॉडल मे transport layer नीचे से चौथे स्थान पर है इसे segment unit भी कहते है।
- यह लेयर डाटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक transmit करती है।
- ट्रांसपोर्ट लेयर ,नेटवर्क लेयर से जब messege को recieve करती है तो messege को बहुत सारे segment में विभाजित कर देती है प्रत्येक segment का अपना एक नंबर होता है जिससे प्रत्येक segment को आसानी से identify किया जा सके।
- यह लेयर flow तथा eroor को नियंत्रित करती है।
सेशन लेयर (Session layer )
- OSI मॉडल मे session layer नीचे से पाँचवे स्थान पर है।
- यह दो डिवाइस के मध्य कनेक्शन को नियंत्रित करती है।
- session layer दो डिवाइस के मध्य कम्युनिकेशन (communication) के लिए session उपलब्ध कराती है। अर्थात यदि कोई यूजर किसी website को open करता है तो यूजर के computer system तथा website के सर्वर के मध्य session layer का निर्माण होता है।
प्रेज़न्टेशन लेयर (Presentation layer )
- OSI मॉडल मे presentation layer नीचे से छठवे स्थान पर है।
- यह लेयर operating system से सम्बंधित है।
- data compression के लिए presentation layer का प्रयोग किया जाता है।
- privacy के लिए भी presentation layer का प्रयोग किया जाता है।
- यह लेयर डाटा को encyption तथा dencyption करती है।
एप्लीकेशन लेयर (Application layer )
- OSI मॉडल मे application layer अंतिम (last )लेयर है।
- यह लेयर वस्तविक एप्लीकेशन तथा अन्य layers के मध्य interface कराती है।
- application layer यह contol करती है की कोई भी application किस प्रकार के नेटवर्क को एक्सेस करती है।
- यह end यूजर के एकदम नजदीक होती है।
- इसके अंतर्गत HTTP,FTP, SMTP तथा NFS अदि प्रोटोकॉल आते है।
FULL PROSESS OF OSI MODEL
इस चित्र की सहायता से आप ISO मॉडल की क्रियाविधि को और अच्छे से समझ सकते है की कैसे लेयर्स
डाटा एक यूजर से दूसरे यूजर तक पहुँचती है
Conclussion-
दोस्तों इस पोस्ट में हमने जाना कि डाटा को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस तक पहुंचाने में OSI मॉडल किस तरह से कार्य करता है और लेयर्स किस तरह से डाटा को procced करती है।
उम्मीद करती हूँ कि मेरे दवरा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में इस पोस्ट को लेकर कोई doubt है तो आप मुझे comment कर सकते है.यदि आपको मेरी पोस्ट पसंदआई हो तो इसे share जरूर करे.
धन्यवाद !
1 Comments
NICE POST HINDI SYSTEM
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